खोज का परिणाम


1 . मातृभाषा और विचार की शक्ति
डॉ पुष्पेंद्र दुबे, 1(1),1 - 1 (2012)

2 . गॉड पार्टिकल और अध्यात्म
डॉ पुष्पेंद्र दुबे, 1(2),1 - 2 (2012)

3 . शब्द शक्ति की उपासना
डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, 1(3),1 - 1 (2)

4 . शब्द – ब्रह्म:विनोबा
डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, 1(4),1 - 2 (2013)

5 . सम्पादकीय - हिंदी की प्रयोजनीयता
डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, 1(5),1 - 2 (2013)

6 . सम्पादकीय - शब्द-शक्ति
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 1(6),1 - 2 (2013)

7 . सम्पादकीय - लोकतंत्र में सामंती शब्दावली
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 1(7),1 - 2 (2013)

8 . सम्पादकीय - योग, उद्योग और सहयोग का अभाव है हमारी शिक्षा में
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 1(8),1 - 2 (2013)

9 . सम्पादकीय : शासन मुक्त शिक्षण से ही समाज में मानवीय मूल्य स्थापित होंगे
डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, 1(9),1 - 2 (2013)

10 . सम्पादकीय : ज्ञानाधारित समाज
डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, 1(10),1 - 2 (2013)

11 . सम्पादकीय : कत्ल, कानून और करुणा
डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, 1(11),1 - 2 (2013)

12 . सम्पादकीय : बुराई पर विजय के लिए संयमपूर्ण जीवन
डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, 1(12),1 - 2 (2013)

13 . सम्पादकीय : व्यक्तिगत मालकियत विसर्जन और परिवार
डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, 2(1),1 - 2 (2013)

14 . सम्पादकीय : दलों के दलदल से निकलने की संभावना
डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, 2(2),1 - 2 (2013)

15 . सम्पादकीय : गोरक्षा सत्याग्रह के बत्तीस वर्ष
डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, 2(3),1 - 2 (2014)

16 . सम्पादकीय : शब्द ब्रह्म की साधना
डॉ.पुष्पेन्द्र दुबे, 2(4),1 - 2 (2014)

17 . सम्पादकीय : पीढ़ियों के द्वंद्व में उलझी देश की राजनीति
डॉ.पुष्पेन्द्र दुबे, 2(6),1 - 2 (2014)

18 . सम्पादकीय :सभ्य समाज के सामने चुनौती
डॉ.पुष्पेन्द्र दुबे, 2(7),1 - 2 (2014)

19 . सम्पादकीय :पिंक रिवोल्यूशन बनाम माँस निर्यात नीति
डॉ.पुष्पेन्द्र दुबे, 2(8),1 - 3 (2014)

20 . सम्पादकीय :विज्ञान युग में टूटेंगे भाषायी बंधन
डॉ.पुष्पेन्द्र दुबे, 2(9),1 - 0 (2014)

21 . सम्पादकीय:दुर्लभं भारते जन्म
विनोबा, 2(10),1 - 2 (2014)

22 . सम्पादकीय:अपने ही घर में नहीं जानते हिन्दी की वर्णमाला
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 2(11),1 - 2 (2014)

23 . सम्पादकीय:अपने ही घर में नहीं जानते हिन्दी की वर्णमाला
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 2(12),1 - 2 (2014)

24 . सम्पादकीय:अपने ही घर में नहीं जानते हिन्दी की वर्णमाला
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 3(1),1 - 2 (2014)

25 . सम्पादकीय:राजनीतिमुक्त रचनात्मक कार्यक्रम की दरकार
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 2(12),1 - 0 (2014)

26 . सम्पादकीय:साहित्यिक खेती करे
विनोबा, 3(1),1 - 2 (2014)

27 . सम्पादकीय:नेशनल प्लानिंग का अर्थ विलेज प्लानिंग हो
विनोबा, 3(2),1 - 4 (2014)

28 . सम्पादकीय:हिंदी में अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी : कुछ प्रश्न
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 3(3),1 - 0 (2015)

29 . सम्पादकीय:शिक्षा में क्रान्ति
विनोबा, 3(4),1 - 0 (2015)

30 . सम्पादकीय: गौवंश हत्याबंदी में निहित ग्रामस्वराज्य की संभावना
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 3(5),1 - 2 (2015)

31 . सम्पादकीय: राष्ट्रीय शर्म है किसानों की आत्महत्या
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 3(7),1 - 2 (2015)

32 . संपादकीय:गोरक्षा सत्याग्रह: समापन से समारंभ
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 3(8),1 - 0 (2015)

33 . सम्पादकीय:भूमि समस्या और ग्रामदान विचार
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 3(9),1 - 2 (2015)

34 . सम्पादकीय:विनोबा जयंती 11 सितंबर:भारतीय संस्कृति में इच्छामृत्यु और विनोबा का ब्रह्मनिर्वाण
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 3(11),1 - 2 (2015)

35 . सम्पादकीय:गोरक्षा का वीभत्स पहलु
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 3(12),1 - 1 (2015)

36 . सम्पादकीय:अगर-मगर के बीच डोलती गोवंश रक्षा
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 4(1),1 - 1 (2015)

37 . सम्पादकीय:
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 4(2),1 - 1 (2015)

38 . सम्पादकीय:नया मंदिर, नया महादेव
विनोबा, 4(3),1 - 1 (2016)

39 . सम्पादकीय:बेरोजगारी के आलम में डिग्री की इज्जत बचना मुश्किल
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 4(4),1 - 0 (2016)

40 . सम्पादकीय:साहित्य और ग्रामीण जीवन
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 4(6),1 - 0 (2016)

41 . सम्पादकीय:भाषा से मात खाती न्याय व्यवस्था
चंद्रशेखर धर्माधिकारी, 4(7),1 - 3 (2016)

42 . सम्पादकीय: भारत को जोड़नेवाली देवनागरी लिपि
विनोबा, 4(8),1 - 0 (2016)

43 . सम्पादकीय: साहित्य के द्वारा शिक्षा
आचार्य काका कालेलकर, 4(9),1 - 2 (2016)

44 . सम्पादकीय:शंकराचार्य का योगदान
आचार्य विनोबा भावे, 4(10),1 - 0 (2016)

45 . सम्पादकीय:देव नागरी लिपि के पांच उद्देश्य
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 4(11),1 - 0 (2016)

46 . सम्पादकीय:भक्ति और पुरुषार्थ
विनोबा, 4(12),1 - 0 (2016)

47 . सम्पादकीय:रोगों की जड़ आज की अर्थव्यवस्था
विनोबा, 5(1),1 - 0 (2016)

48 . सम्पादकीय:मृति स्मृति-शुद्धये
विनोबा, 5(2),1 - 0 (2016)

49 . सम्पादकीय:नयी तालीम का छद्म संस्करण साबित हुई है सेमेस्टर प्रणाली
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 5(3),1 - 2 (2017)

50 . कृष्ण बलदेव वैद के उपन्यासों में चित्रित नारी जीवन
डॉ. मुकेश कुमार, 5(3),0 - 0 (2017)

51 . अम्बिकापुर नगर में भूमि उपयोग और कार्यात्मक कटिबंधों का भौगोलिक विश्लेषण
डॉ.अनिल कुमार सिन्हा, 5(3),0 - 0 (2017)

52 . उत्तराखंड के वस्त्राभूषण
अमृता कौशिक (शोधार्थी),डॉ.मीनाक्षी गुप्ता (निर्देशक), 5(3),0 - 0 (2017)

53 . ग़ज़ल : उत्पत्ति एवं विकास
उपासना दीक्षित (शोधार्थी), 5(3),0 - 0 (2017)

54 . ग़ज़ल गायकी के मसीहा : उस्ताद मेहंदी हसन
दीपेश कुमार विश्नावत (शोधार्थी), 5(3),0 - 0 (2017)

55 . अल्बर्ट संग्रहालय में प्रदर्शित ईरानी कालीन का सौन्दर्यात्मक स्वरूप
डॉ. अन्नपूर्णा शुक्ला (निर्देशक),रूचि जोशी (शोधार्थी), 5(3),0 - 0 (2017)

56 . Rural Life In Urdu Fiction
Masrat Hamzah Lone (Research Scholar), 5(3),0 - 0 (2017)

57 . सम्पादकीय:नागरी लिपि भारत को जोड़ने की कड़ी
विनोबा भावे, 5(4),1 - 3 (2017)

58 . सम्पादकीय:मृत्यु ईश्वर की देन
विनोबा, 5(5),1 - 0 (2017)

59 . सम्पादकीय:
, 5(6),1 - 0 (2017)

60 . सम्पादकीय:बुद्ध की तीन सिखावनें
विनोबा, 5(7),1 - 3 (2017)

61 . सम्पादकीय:बपरस्परावलंबन से दूर होगा गांव और शहर का संघर्ष
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 5(8),1 - 2 (2017)

62 . सम्पादकीय:विश्वविद्यालयों में बोलियों के लिए नागरी लिपि विभाग
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 5(9),1 - 0 (2017)

63 . सम्पादकीय:पवनार को मैं पावर हाउस बनाना चाहता हूँ
विनोबा, 5(11),1 - 2 (2017)

64 . सम्पादकीय: स्त्री शक्ति और ग्राम पंचायत
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 6(1),1 - 0 (2017)

65 . सम्पादकीय:हिंदी माध्यम में शोध और शोधार्थी
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 6(2),1 - 0 (2017)

66 . संपादकीय:नागरी लिपि ओर विनोबा
विनोबा, 6(3),1 - 0 (2018)

67 . संपादकीय:आने वाला युग मुख्यत : स्त्रियों का है
विनोबा, 6(4),1 - 1 (2018)

68 . संपादकीय:चित्त संशोधन के बिना बुद्धि खुलती नहीं
विनोबा, 6(5),1 - 1 (2018)

69 . संपादकीय:इतिहास अध्ययन के दुष्परिणाम
विनोबा, 6(6),1 - 2 (2018)

70 . संपादकीय:निर्वैर होने के लिए तृष्णाक्षय आवश्यक
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 6(7),1 - 2 (2018)

71 . संपादकीय:ग्रामदान विचार और किसानों की समस्या
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 6(8),1 - 2 (2018)

72 . संपादकीय:प्रेम और विचार में शक्ति
विनोबा, 6(9),1 - 1 (2018)

73 . संपादकीय:जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि
डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, 6(10),1 - 2 (2018)

74 . संपादकीय:राष्ट्रीय एकता, हिंदी और नागरी लिपि
डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, 6(11),1 - 2 (2018)

75 . संपादकीय:शब्दब्रह्म के छः वर्ष
डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, 6(12),1 - 1 (2018)

76 . संपादकीय:अध्यात्म का आशय
विनोबा, 7(1),1 - 1 (2018)

77 . संपादकीय:मनुष्य हृदय की अतल गहराई : पोस्ट बॉक्स न.203
डॉ.पुष्पेन्द्र दुबे, 7(2),1 - 2 (2018)

78 . संपादकीय: श्रम टालना : अशांति का कारण
विनोबा, 7(3),1 - 2 (2019)

79 . संपादकीय: कश्मीर का सवाल
विनोबा, 7(4),1 - 3 (2019)

80 . संपादकीय: अणुशक्ति अहिंसा के नजदीक
विनोबा, 7(5),1 - 2 (2019)

81 . संपादकीय: अपरिग्रह
विनोबा, 7(6),1 - 0 (2019)

82 . संपादकीय: आचार्य-कुल
विनोबा, 7(7),1 - 0 (2019)

83 . देवनागरी लिपि के स्वीकार से भाषायी संघर्ष मिटेगा
डॉ.पुष्पेन्द्र दुबे, 7(8),1 - 1 (2019)

84 . सम्पादकीय : मृत्यु का चिंतन
विनोबा, 7(9),1 - 2 (2019)

85 . संपादकीय: देवनागरी लिपि की आवश्यकता
डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, 7(11),1 - 1 (2019)

86 . सम्पादकीय : अध्यात्म और विज्ञान के समन्वयक महात्मा गांधी
डॉ. पुष्पेंद्र दुबे , 7(12),1 - 2 (2019)

87 . सम्पादकीय : हिंदूधर्म
विनोबा, 8(3),1 - 2 (2020)

88 . सम्पादकीय: अभिव्यक्ति पर संकट
डॉ.निर्मला सिंह , 8(5),1 - 2 (2020)

89 . सम्पादकीय: स्वदेशी से गांव ‘आत्मनिर्भर’ बने
विनोबा , 8(7),1 - 2 (2020)

90 . सम्पादकीय: सुशासन यह भ्रम
विनोबा , 8(8),1 - 2 (2020)

91 . भारत-चीन संघर्ष : रक्षण की हमारी योजना
विनोबा, 8(10),1 - 2 (2020)

92 . संपादकीय : विनोबा विचार प्रवाह अंतर्राष्ट्रीय संगीति : एक अभिनव प्रयोग
डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, 8(11),1 - 2 (2020)

93 . संपादकीय: विज्ञान युग में असहनीय है राजनीति
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 8(12),1 - 1 (2020)

94 . संपादकीय: ग्रामदान से होगा अन्त्योदय
नरेन्द्र दुबे, 9(3),1 - 3 (2021)

95 . संपादकीय: सरकार एक गैर जरुरी संस्था
विनोबा, 9(4),1 - 1 (2021)

96 . संपादकीय: दांडी मार्च: स्वतंत्रता का प्रवेश द्वार
महात्मा गाँधी, 9(5),1 - 3 (2021)

97 . संपादकीय: कोरोना काल में कामायनी का पुनरावलोकन
डॉ पुष्पेंद्र दुबे, 9(7),1 - 2 (2021)

98 . संपादकीय: धर्मसंस्था और शासनसंस्था से छुटकारा हो
विनोबा, 9(8),1 - 1 (2021)

99 . संपादकीय: हिन्दू धर्म की व्यापक वृत्ति
विनोबा, 9(9),1 - 1 (2021)

100 . संपादकीय: हिन्दू धर्म की व्यापक वृत्ति
विनोबा, 9(9),1 - 1 (2021)

101 . संपादकीय: भारत अध्यात्मिक नेतृत्व करने में सक्षम
डॉ पुष्पेंद्र दुबे, 9(11),1 - 2 (2021)

102 . संपादकीय: युवा पीढी को गूंगा होने से बचाएं
डॉ पुष्पेंद्र दुबे, 9(12),1 - 2 (2021)

103 . संपादकीय: कालजयी साहित्यकार मन्नू भंडारी
डॉ पुष्पेंद्र दुबे, 10(1),1 - 1 (2021)

104 . संपादकीय: आत्मनिर्भर भारत और एकादश व्रत
डॉ पुष्पेंद्र दुबे, 10(2),1 - 1 (2021)

105 . संपादकीय: विदेशी भाषा में भारतीयता की तलाश
डॉ पुष्पेंद्र दुबे, 10(3),1 - 2 (2022)

106 . संपादकीय: साहित्य और जीवन
काका कालेलकर, 10(4),1 - 1 (2022)

107 . संपादकीय: होली और अध्यात्म
डॉ पुष्पेंद्र दुबे, 10(5),1 - 1 (2022)

108 . संपादकीय: जमात का स्वार्थ भयानक वस्तु
विनोबा, 10(6),1 - 2 (2022)

109 . संपादकीय: दिल में पुराने संस्कार, दिमाग में विज्ञान
विनोबा, 10(7),1 - 2 (2022)

110 . संपादकीय: अ-सरकारी असरकारी : क्यों और कैसे ?
डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, 10(8),1 - 3 (2022)

111 . संपादकीय:आत्मनिर्भर भारत की कुंजी "लोकनीति"
डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, 10(9),1 - 2 (2022)

112 . संपादकीय:युद्ध के बारे में गांधीजी का मानसिक इतिहास
विनोबा, 10(10),1 - 1 (2022)

113 . संपादकीय:धर्म प्रेरणा का स्रोत
विनोबा, 10(12),1 - 1 (2022)

114 . संपादकीय:नया साल
विनोबा, 11(3),1 - 1 (2023)

115 . संपादकीय:चित्तशुद्धि
विनोबा, 11(5),1 - 1 (2023)

116 . संपादकीय:समाज सेवा का सिमटता दायरा
डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, 11(6),1 - 2 (2023)

117 . हिन्दी की साहित्यिक पत्रिकाओं में ‘वीणा’ का प्रदेय
डॉ.पुष्पेन्द्र दुबे, 11(12),1 - 2 (2023)

118 . संपादकीय: शब्दब्रह्म के ग्यारह वर्ष
डॉ पुष्पेंद्र दुबे, 12(2),1 - 1 (2023)

119 . संपादकीय: न्यायालयों का व्यामोह
महात्मा गांधी, 12(3),1 - 2 (2024)

120 . संपादकीय: सभ्य समाज के सामने चुनौती
डॉ.पुष्पेंद्र दुबे, 12(4),1 - 2 (2024)